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पुष्कर के घूमने की प्रमुख जगह
यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता, धार्मिक वातावरण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए स्वर्ग के समान है। आने वाला हर सैलानी इस अलौकिक स्थान में रहकर अपने आप को गौरान्वित महसूस करता है। पुष्कर वेदमाता गायत्री की जन्मभूमि भी कहा जाता है। पुष्कर को भगवान् शिव की शक्ति पीठ भी माना जाता है। धार्मिक मान्तया के अनुसार चारों धामों की यात्रा करके भी यदि कोई पुष्कर झील में डुबकी नहीं लगाता है। तो उसके सारे पुण्य निष्फल हो जाते है।
पुष्कर कस्बे में स्थित एक पवित्र हिन्दुओं की स्नान सरोवर है। पुष्कर झील में कार्तिक माह की पूर्णिमा में पुष्कर मेला लगता है जहां पर हज़ारों तीर्थयात्री आते है तथा स्नान करते है। ऐसा माना जाता है कि पुष्कर सरोवर में स्नान करने पर त्वचा के सारे रोग मिट हो जाते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने करवाया था। पुष्कर झील के आसपास 500 मंदिर बने हुए है। यहाँ 52 स्नान घाट भी हैं। प्राचीन काल से धर्मार्थी यहाँ पर हर वर्ष कार्तिक मास में एकत्रित होते है। और ह्मा जी की पूजा अर्चना करते है। यहाँ आने वाले लोग पुष्कर झील में स्नान अवस्य करते हैं।
ब्रह्मा मन्दिर पुष्कर के पवित्र स्थल में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्मा की मूर्ति विराजमान है। निर्माण लगभग 14 वीं शताब्दी में हुआ था। ये मदिर 700 वर्ष पुराना है। इस मंदिर मुख्य द्वार संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।
पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को इस मेला का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं।पुष्कर के प्रशासन इस मेले की व्यवस्था करता है। इस में यहां पर पशु मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें विषेस नस्ल के पशुओं को लाया जाता है। ये पशु मेले का मुख्य आकर्षण होते है। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा में ऊंट मेला लगता है। इस पुष्कर को दुनिया भर में अलग ही पहचान दी है। पुष्कर मेला देखने के लिए देश विदेशी से लाखो सैलानी आते हैं। राजस्थान व आसपास के ग्रामीण इलाकों से ग्रामीण लोग अपने पशुओं के साथ मेले में पहुचते है। मेले के समय राजस्थान के रेगिस्थान में भी पुष्कर को खास फेसतीवेल की तरह सजाया जाता है।
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