http://rakeshjakhar9024879471.blogspot.in/2018/03/whatsapp.html https://youtu.be/TVD8prw8yPg राजस्थान से BJP- कांग्रेस की दुकान समेट दूंगा: हनुमान बेनीवाल ........................................................... राजस्थान चुनाव में जाट फैक्टर एक ऐसा है जो सरकार बनाने और बिगाड़ने दोनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन, जोधपुर की सरदारपुर सीट जहां से अशोक गहलोत खुद उम्मीदवार हैं और जोधपुर सिटी सीट जहां से मनीषा पंवार उम्मीदवार हैं को छोड़कर पार्टी जाट वोट के लिए संघर्ष कर सकती है. इसके पीछे जाट नेता हनुमान बेनीवाल को कारण माना जा रहा है. उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जाट वोटों को एक तरफ करती दिख रही है. राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. इसमें 55 सीटों पर जाटों का प्रभाव माना जाता है. इस बार चुनाव के पहले देखा जा रहा था कि जाट वोटर्स कांग्रेस के साथ हैं. लेकिन, इसी बीच हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी के साथ मैदान में आ गए और पूरा समीकरण बदल गया. हालांकि, ये आरोप लगाया जा रहा है कि वह बीजेपी के मोहरे के तौर पर लड़ रहे हैं, फिर भी इसका कितना प्रभाव पड़ेगा ये तो 7 दिसंबर की वोटिंग में ही मालूम होगा युवकों की बात कर रहे हैं बेनीवाल जोधपुर संसदीय सीट की बात करें तो साल 2013 के चुनाव में यहां की 8 विधानसभा सीट में 7 बीजेपी जीतने में कामयाब हुई थी. इसमें सिर्फ अशोक गहलोत ही एक थे, जो अपनी सीट जीतने में कामयाब हुए थे. यहां जाट वोटर्स की तादाद बड़ी है और बेनीवाल अपने पब्लिक मिटिंग में लगातार निराश और बेरोजगार युवकों की बात कर रहे हैं. बेनीवाल के हेलीकॉप्टर पर उठ रहे सवाल बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे बेनीवाल की सभाओं में भीड़ उमड़ रही है. इसमें जाट युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा रह रही है. इससे कांग्रेस की चिंताएं बढ़ती दिख रही हैं. लेकिन, जब वह हेलीकॉप्टर से एक स्थान से दूसरे स्थान उड़ रहे हैं तो इसपर एक नई बहस भी छिड़ती दिख रही है. यहां सवाल उठ रहा है कि एक किसान नेता के पास कैसे इतना पैसा आ रहा है कि वह 3 लाख रुपये प्रतिघंटा की कीमत चुकाकर हेलीकॉप्टर से घूम रहा है. कांग्रेस को उम्मीद हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में जाट वोट कांग्रेस की तरफ ही लिफ्ट हो जाएंगे. उनका कहना है कि जाट मूलत: किसान होते हैं और वह बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में जो उनकी सहायता करेगा, उन्हें उन्हीं को वोट करना चाहिए. जाट महासभा ने पहले ही कांग्रेस को सपोर्ट करने के लिए कह दिया है. बीजेपी नेताओं के खिलाफ नहीं खड़ किए कैंडिडेट हनुमान बेनीवाल की विश्वसनीयता पर इसलिए भी सवाल उठ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी ने बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ कैंडिडेट नहीं उतारा है. झालारपाटन से वसुंधरा राजे हां या टोंक से युनुस खान, चुरु से राजेंद्र राठौर या फिर लोहावत से गजेंद्र सिंह खिमसर. इन सभी सीटों पर हनुमान बेनीवाल ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि वह कांग्रेस से बीजेपी को हो रहे नुकसान को डेंट कर सकें
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राजस्थान से BJP- कांग्रेस की दुकान समेट दूंगा: हनुमान बेनीवाल
...........................................................
राजस्थान चुनाव में जाट फैक्टर एक ऐसा है जो सरकार बनाने और बिगाड़ने दोनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन, जोधपुर की सरदारपुर सीट जहां से अशोक गहलोत खुद उम्मीदवार हैं और जोधपुर सिटी सीट जहां से मनीषा पंवार उम्मीदवार हैं को छोड़कर पार्टी जाट वोट के लिए संघर्ष कर सकती है. इसके पीछे जाट नेता हनुमान बेनीवाल को कारण माना जा रहा है. उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जाट वोटों को एक तरफ करती दिख रही है.
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. इसमें 55 सीटों पर जाटों का प्रभाव माना जाता है. इस बार चुनाव के पहले देखा जा रहा था कि जाट वोटर्स कांग्रेस के साथ हैं. लेकिन, इसी बीच हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी के साथ मैदान में आ गए और पूरा समीकरण बदल गया. हालांकि, ये आरोप लगाया जा रहा है कि वह बीजेपी के मोहरे के तौर पर लड़ रहे हैं, फिर भी इसका कितना प्रभाव पड़ेगा ये तो 7 दिसंबर की वोटिंग में ही मालूम होगा
युवकों की बात कर रहे हैं बेनीवाल
जोधपुर संसदीय सीट की बात करें तो साल 2013 के चुनाव में यहां की 8 विधानसभा सीट में 7 बीजेपी जीतने में कामयाब हुई थी. इसमें सिर्फ अशोक गहलोत ही एक थे, जो अपनी सीट जीतने में कामयाब हुए थे. यहां जाट वोटर्स की तादाद बड़ी है और बेनीवाल अपने पब्लिक मिटिंग में लगातार निराश और बेरोजगार युवकों की बात कर रहे हैं.
जोधपुर संसदीय सीट की बात करें तो साल 2013 के चुनाव में यहां की 8 विधानसभा सीट में 7 बीजेपी जीतने में कामयाब हुई थी. इसमें सिर्फ अशोक गहलोत ही एक थे, जो अपनी सीट जीतने में कामयाब हुए थे. यहां जाट वोटर्स की तादाद बड़ी है और बेनीवाल अपने पब्लिक मिटिंग में लगातार निराश और बेरोजगार युवकों की बात कर रहे हैं.
बेनीवाल के हेलीकॉप्टर पर उठ रहे सवाल
बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे बेनीवाल की सभाओं में भीड़ उमड़ रही है. इसमें जाट युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा रह रही है. इससे कांग्रेस की चिंताएं बढ़ती दिख रही हैं. लेकिन, जब वह हेलीकॉप्टर से एक स्थान से दूसरे स्थान उड़ रहे हैं तो इसपर एक नई बहस भी छिड़ती दिख रही है. यहां सवाल उठ रहा है कि एक किसान नेता के पास कैसे इतना पैसा आ रहा है कि वह 3 लाख रुपये प्रतिघंटा की कीमत चुकाकर हेलीकॉप्टर से घूम रहा है.
बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे बेनीवाल की सभाओं में भीड़ उमड़ रही है. इसमें जाट युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा रह रही है. इससे कांग्रेस की चिंताएं बढ़ती दिख रही हैं. लेकिन, जब वह हेलीकॉप्टर से एक स्थान से दूसरे स्थान उड़ रहे हैं तो इसपर एक नई बहस भी छिड़ती दिख रही है. यहां सवाल उठ रहा है कि एक किसान नेता के पास कैसे इतना पैसा आ रहा है कि वह 3 लाख रुपये प्रतिघंटा की कीमत चुकाकर हेलीकॉप्टर से घूम रहा है.
कांग्रेस को उम्मीद
हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में जाट वोट कांग्रेस की तरफ ही लिफ्ट हो जाएंगे. उनका कहना है कि जाट मूलत: किसान होते हैं और वह बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में जो उनकी सहायता करेगा, उन्हें उन्हीं को वोट करना चाहिए. जाट महासभा ने पहले ही कांग्रेस को सपोर्ट करने के लिए कह दिया है.
हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में जाट वोट कांग्रेस की तरफ ही लिफ्ट हो जाएंगे. उनका कहना है कि जाट मूलत: किसान होते हैं और वह बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में जो उनकी सहायता करेगा, उन्हें उन्हीं को वोट करना चाहिए. जाट महासभा ने पहले ही कांग्रेस को सपोर्ट करने के लिए कह दिया है.
बीजेपी नेताओं के खिलाफ नहीं खड़ किए कैंडिडेट
हनुमान बेनीवाल की विश्वसनीयता पर इसलिए भी सवाल उठ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी ने बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ कैंडिडेट नहीं उतारा है. झालारपाटन से वसुंधरा राजे हां या टोंक से युनुस खान, चुरु से राजेंद्र राठौर या फिर लोहावत से गजेंद्र सिंह खिमसर. इन सभी सीटों पर हनुमान बेनीवाल ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि वह कांग्रेस से बीजेपी को हो रहे नुकसान को डेंट कर सकें
हनुमान बेनीवाल की विश्वसनीयता पर इसलिए भी सवाल उठ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी ने बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ कैंडिडेट नहीं उतारा है. झालारपाटन से वसुंधरा राजे हां या टोंक से युनुस खान, चुरु से राजेंद्र राठौर या फिर लोहावत से गजेंद्र सिंह खिमसर. इन सभी सीटों पर हनुमान बेनीवाल ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि वह कांग्रेस से बीजेपी को हो रहे नुकसान को डेंट कर सकें
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