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यही कारण था कि दूल्हे ने विवाह के कार्ड छपवाने के स्थान पर भी फोन से ही संबंधियों को सूचना देना उचित समझा। घंटाघर क्षेत्र स्थित भगवान सीताराम मन्दिर में दूल्हा बने शंकर व दुल्हन बनी बड़ा तख्ता निवासी एवं निजी विद्यालय में शिक्षिका सीमा साहू ने नजदीकी सगे सम्बन्धियों के बीच एक दूसरे को वरमाला पहनाई। हालांकि विवाह समारोह में साक्षी बने समाज के लोगों ने जरूर नवयुगल को उपहार आदि भेंट किए।
SELFI WITH MONKEY
राजस्थानी विवाह की सबसे पहली परम्परा
टोंक। शहर में शनिवार को हुआ एक अनूठा विवाह समारोह लोगों के लिए मिसाल बन गया। इसमें दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा ना ढोल नगाड़े ही बजे । युवक-युवती ने ठाकुरजी के समक्ष एक-दूजे के वरमाला डालकर मरते दम तक साथ निभाने का वचन लिया
ऐसी सादगी की मिसाल पेश की पुरानी टोंक निवासी शंकर साहू ने। विवाह समारोह में होने वाले अनावश्यक खर्च रोकने व फिजुलखर्ची से आहत शंकर ने वर्षों पहले ही सादगीपूर्ण विवाह करने की ठान ली थी
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RAKESH JAKHAR NAGAUR
NAGAUR WALA JATT
KUCH GHUMAI KE PAL
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MATA KA TAMPLE
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